हर सफलता के लिए प्रथम आशीर्वाद माँ का लिया जाना श्रेष्ठ धर्म है और सफलता का मूल मन्त्र भी यही है | भाषण चाहे कितना भी लच्छेदार हो उसे कार्यान्वयन के सन्दर्भ में दमदार होना ही चाहए |कभी कभी व्यंग भी लक्ष भेदन के मार्ग को प्रसस्त करनें में सहयक सिद्ध होते है
हर सफलता के लिए प्रथम आशीर्वाद माँ का लिया जाना श्रेष्ठ धर्म है और सफलता का मूल मन्त्र भी यही है | भाषण चाहे कितना भी लच्छेदार हो उसे कार्यान्वयन के सन्दर्भ में दमदार होना ही चाहए |कभी कभी व्यंग भी लक्ष भेदन के मार्ग को प्रसस्त करनें में सहयक सिद्ध होते है
जवाब देंहटाएंरोचक भाव !
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